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कुछ नही होगा
थोडा धीरज रखो
तुमको क्या मिला है
पहले ये तो देखो
झगडा ही हुआ है
ये प्यार ही तो है
कोई राह चलते लडकी से
लडता नही है
तुझमें शक्ती है पगली
प्यार करते रहने की
तुम तो हल कर लोगी
हर मुश्किल जिने की
चलो अब हँसदो
देखो मेरी तरफ
तुम तोड सकती हो ये
मन मुटाव कि बरफ
तुषार जोशी, नागपूर
१७ डिसेंबर २००७
ईस चिठ्ठे पर लिखी कविताएँ तुषार जोशी, नागपूर ने साथ मेँ लगी तस्वीर को देखकर पहले दस मिनट में लिखीँ है। मगर फिर भी लेखक के संदर्भ, पूर्वानुभव और कल्पनाएँ उनमे उतर ही आती है। छायाचित्र सहयोग के लिये सभी छायाचित्र प्रदानकर्ताओं का दिल से धन्यवाद।
सोमवार, 17 दिसंबर 2007
बरफ
शुक्रवार, 8 जून 2007
तुझमें है
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तुम कर लोगे
करने की शक्ति तुझमें है
सब समझ जाओगे
सृजनशील युक्ति तुझमें है
प्रगती के पाठ
हम गिरकर ही सिखतें हैं
जो गिरकर उठतें है
वें ही आखिर तक टीकते हैं
तुझे यश मिलेगा
प्रयत्नशील वृत्ति तुझमें है
तुम कर लोगे
करने की शक्ति तुझमें है
जब जमता नही है
मन मायूस होता है
विश्वास रखो होगा होगा
कहो तो हँसता है
तुझे विश्वास होगा
सद्विवेक बुद्धि तुझमें है
तुम कर लोगे
करने की शक्ति तुझमें है
तुषार जोशी, नागपुर
धन
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जब कोई नहीं होता
पेड के निचे तुमसे मिलने आता हूँ
सारा ताप भूल कर नवीन
इच्छा शक्ति की फेक्टरी बन जाता हूँ
तेरे बालों में उंगलीया फेर कर
हमेशा तीव्र उर्जा मिली है
तेरी खुशबू में नहा कर
मेरी प्रतिभा सज निकली है
तेरे होने से मेरा होना है
तेरा साथ ही मेरा जीवन है
मेरी प्यारी कविता तू ही
मेरे जीवन का अमुल्य धन है
तुषार जोशी, नागपुर
डर
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अपयश एक अवस्था है
समझें तो डर जाता रहता है
अपयश को मुह चिढाने का
मन में बल आता रहता है
भले परिस्थिती भयपूर्ण रूप ले
और धडकने बढाए हमारी
हमने कस कर पकड रखनी है
आत्मविश्वास की अपनी डोरी
अपयश स्वप्न राक्षस है
जब ये समझ लेते हो
उसके बाद सारी रात
घोडे बेच कर सो सकते हो
तुषार जोशी, नागपुर
गुरुवार, 7 जून 2007
आकाश
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तुमने मुझे आकाश दिया
पूरी शक्ती से उडने के लिये
और एक घर बनाया
थक कर वापस लौटने के लिये
अब मै थोडा थोडा
बाँट रहा हूँ सबको आकाश
जिनको घर नही उनके
घर बसाने का प्रयास
राह तकता है कोई घर में
तुमने ऐसा विश्वास दिया
उस दिये से जला रहा हूँ
मिलने वाला हर उदास दिया
तुषार जोशी, नागपुर
बुधवार, 6 जून 2007
जिया
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हमेशा की तरह जब हम
नुक्कड पर चाट खा रहे थे
तुमने बातों बातों में
तब वो कह दिया
क्या तुम मेरी
ज़िंदगी भर के लिये
हमसफर बनोगी जिया
मै देखती ही रह गई
मेरी सारी हँसी
आश्चर्य में बह गई
कितनी आसानी से
तुमने सिधे सिधे पुछ लिया
अब मै किस तरहा
सम्हालूँ धडकता हुआ जिया
चेहरे से शरमाहट मै
रोक नही पाई
आज मेरे लिये ये शाम
क्या बन कर आई
तुमको पता नहीं पगले
ये तुमने क्या कर दिया
उस सवाल के बाद का वक्त
मैने किस तरहा से है जिया
मुझे जवाब देने को
वक्त चाहिये कहकर
मै भाग निकली
रात मैने कैसे काटी
कितनी करवटें बदली
सुबह फिर तुमको
ये कहने को फोन किया
ना कैसे कहूँ मैं
तुम्हारी ही तो हूँ जिया
तुषार जोशी, नागपुर
क्या तुम
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सुबह उठते ही
तुम्हारे यादों की खुशबू
तन बदन पर
छा जाती है
आईने में देखता हूँ
तो तुम्हारी छवी
धिरे से मुस्कराती है
छोटी से छोटी बात भी
मै तुम्हे बताना चाहता हूँ
तुम्हारे साथ क्या क्या
बाते करनी है
तुम ना होने पर
यहीं सोचते रहता हूँ
तुमसे झगडा होता है जब
तुमसे ही तुम्हारी शिकायत
मै करता हूँ सब लोगों में
आदतन तुम्हारी हिमायत
दोस्तों में जब कोई बात
दिल से छू जाती है
और मै देखता हूँ तुम्हारी तरफ
तो पाता हूँ तुम्हे पहले से ही
देखता हुआ मेरी तरफ
हर बात में मेरी ज़िंदगी
तुम तक आकर रूक जाती है
तुमसे मेरे दिन रंगीं है
तुमसे मेरी खुशीयाँ आती हैं
तुम्हारे साथ रहकर तुमको
थोडा सा हँसाना चाहता हूँ
तुमसे जमकर झगडा करके
फिर तुमको मनाना चाहता हूँ
कहते हैं ज़िदगी का सफर नही आसान
मगर फिर भी मेरे साथ साथ चलोगी?
अकेले है मुश्किल,
तुम साथ हो तो आसान
क्या तुम मुझसे शादी करोगी?
तुषार जोशी, नागपुर
मंगलवार, 5 जून 2007
मुलाकात
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बहोत दिनों बाद
मुझसे मिलने गया
बोला आजकल
आते ही नही हो
और मैने देखा है
पहले की तरह
छोटी छोटी बातों पर
खिलखिलाते भी नहीं हो
हा यार मै बोला
वक्त ही नही मिलता
दिन कैसे गुज़र जाता है
पता ही नहीं चलता
अब भागदौड की ज़िंदगी में
जैसे खो गया हूँ
मशीनों के साथ रहते रहते
मशीन हो गया हूँ
मैं बोला मेरी मानो
दिन का एक घंटा तो
मेरे लिये निकालो
छूटती हुई ज़िंदगी से
कुछ तो पल बचालो
गप्पे लडाते साथ बैठेंगे
पुरानी यादों में
घूल कर हँस लेंगे
फिर जब जाओगे
खुशीयाँ ले जाओगे
अपनी बैटरी को तुम
रिचार्ज पाओगे
वो बात तो मेरे
दिल में उतर गई
और मैने भी मुझसे
कर दिया वादा
दिन में एक बार
जरूर मिलने जाऊंगा
भले मिले एक घंटा
या सिर्फ आधा
तुषार जोशी, नागपुर
तलाश
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मुझे कुछ तलाश है
जो जो होना चाहिये
वो तो मेरे पास है
फिर भी कुछ तलाश है
एक जगह चाहिये जहाँ
सारा प्यार लुटा सकूँ
ऐसा काम के जहाँ
खुदको मैं भुला सकूँ
किसी अंजान मंज़िल की
अंजान सी प्यास है
मुझे कुछ तलाश है
एक कदम उधर जहाँ
दुख अधिक हो सुख हो कम
आसानी से जो ना हो
करते करते निकले दम
घोसले को छोड कर
उडने का प्रयास है
मुझे कुछ तलाश है
तुषार जोशी, नागपुर
मंगलवार, 22 मई 2007
तुम्हे देखा
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तुम्हे देखा तभी सोचा
बहोत कुछ पा लिया मैने
तुम्हे अपना बनाऊंगा
इरादा झट किया मैने
जो मेरा था लडकपन से
जो मेरा रह नही पाया
जो इतने दिन सम्हाला था
तुम्हे दिल दे दिया मैने
तुषार जोशी, नागपुर
गुरुवार, 17 मई 2007
तुम्हारी हाँ
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तुम्हारी हाँ अंगुठी बन
के उंगली मे समा गई है
चिढ़ाना सारे मित्रों का
ठीठोली मुझको भा गई है
मुझे रोमांच देता है
मुझे वो सब लगे प्यारा
जहाँ से जिक्र तुम्हारा और
तुम्हारी याद आ गई है
तुषार जोशी, नागपुर
क्या हुआ मुझको
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जो करती थी पसंद मुझको
मुझे बिलकुल नही भाती
जिसे मै ठीक कहता हुँ
वो ना ना कह के है जाती
तुम्हे जब देखने आया
पता ना क्या हुआ मुझको
जिधर देखू मुझे तेरी
ही सूरत है नज़र आती
तुषार जोशी, नागपुर
सोमवार, 14 मई 2007
दोसती दवा है
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है अकेलापन बिमारी
दोसती इसकी दवा है
पी गया जो भी इसे वो
ठीक पल भर में हुआ है
इस दवा में खासियत है
आप भी जी भर के पिलो
दोस्त बन जाओ हमारे
जिन्दगी जी भर के जी लो
मुफ्त में मिलती है बाबू
बाँटते ना हिचकिचाना
जो मिले बीमार तुमको
खुब जी भर के पिलाना
है अकेलापन बिमारी
दोसती इसकी दवा है
पी गया जो भी इसे वो
ठीक पल भर में हुआ है
तुषार जोशी, नागपुर
रविवार, 13 मई 2007
चिठ्ठी
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साडी देखी वही स्टाल पर
हाथ तेरा महसूस हुआ
कितने दिनसे मिला ना तुझको
मन मेरा मायूस हुआ
छुट्टी लेकर जल्दी ही
मैं तुमको मिलने आजाऊँ
सोच रहा हूँ तेरे वासते
साडी ये ही खरिद लाऊँ
छोटी छोटी बातों से भी
याद आती हो तुम मैना
यहाँ मैं खुश हूँ याद में तेरी
तुम चिठ्ठी पढना खुश रहना
तुषार जोशी, नागपुर
शनिवार, 12 मई 2007
अमलताश के फूल
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अमलताश के फूल तुम्हारी
मधुर सादगी के लिये
इन ताज़ा मुस्कानों जैसी
स्वर्णिम जिंदगी के लिये
अमलताश के फूल नहीं यें
बच्चे हैं ठिठोली करते
जिवन की इस बगिया को
निर्मल सी हँसी से भरते
अमलताश के फुलों जैसा
जिवन खुशियों से भर जाए
एक दो पत्तियों जैसा
दुख बस थोडासा रह जाए
तुषार जोशी, नागपुर
गुरुवार, 10 मई 2007
रो लेने दो
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ग़म को कुछ कम हो लेने दो
बस जी भर के रो लेने दो
दिल से लिपटे सब वादों को
इस बारिश में धो लेने दो
हम खुश है कुछ हुआ नहीं है
कहते हैं तो कह लेने दो
आप का तोहफा हैं यें आँसू
दिल को फिर डुबो लेने दो
आज हुआ क्या कुछ ना पुछो?
बस जी भर के रो लेने दो
तुषार जोशी, नागपुर
बुधवार, 9 मई 2007
प्रयास
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अगर तुम कविता करती हो
मै उसे पढ़ना चाहूंगा
तुम्हे समझने के प्रयास में
दो कदम आगे आ जाऊंगा
अगर तुम कविता करती हो
मै उसे पढ़ना चाहूंगा
अच्छी है या बुरी ये
सवाल ना करना मुझसे
मन से लिखा है, जो सच
उसमे मैं
अच्छे बुरे का भेद नहीं लाऊंगा
अगर तुम कविता करती हो
मै उसे पढ़ना चाहूंगा
तुम्हारे लिखे जज़बातों को
उस वक्त की सच्ची बातों को
अपने स्वर में ढ़ालकर
सुनो,
उसे मै तुम्हे सुनाऊंगा
अगर तुम कविता करती हो
मै उसे पढ़ना चाहूंगा
तुषार जोशी, नागपुर
रविवार, 6 मई 2007
अब समय मेरा है
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अब समय मेरा है
कुछ भी कर सकता हूँ मैं
ये दावा सुनहरा है
अब समय मेरा है
मुसिबतों का डर नहीं
चीरता चलूँगा मैं
आँधीयों के बाद भी
यहीं खडा मिलूँगा मैं
मै चमकता सितारा हूँ
जो अंधेरा घनेरा है
अब समय मेरा है
कुछ भी कर सकता हूँ मैं
ये दावा सुनहरा है
अब समय मेरा है
ये जग भर दूँगा मैं
प्यार से विश्वास से
पिता सवाँरता है
बच्चों की जिंदगी जैसे
सबको साथ रखने वाली
मेरी विचारधारा है
अब समय मेरा है
कुछ भी कर सकता हूँ मैं
ये दावा सुनहरा है
अब समय मेरा है
तुषार जोशी, नागपुर
शनिवार, 5 मई 2007
कितनी खुश हूँ
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कितनी खुश हूँ
पुछो मेरे
रेशमी बालों से
चेहरे पर बनते
धूप और
छाँव के जालों से
आईना भी
मुसकाता है
देखके अब मुझको
कितनी खुश हो
कहता पगली
हुआ क्या है तुझको
दिल करता है
चिख चिख कर
सबको बतलाऊँ
सब सुना दूँ
आज अभी मैं
कुछ ना छुपाऊँ
आज मिली है
मुझको अपनी
अलग एक पहचान
मेरे ही इस
नये रूप से
अब तक थी अनजान
तुषार जोशी, नागपुर
शुक्रवार, 4 मई 2007
गुरुवार, 3 मई 2007
खुशी
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खुशी जब दिल में
भर आती है
मुस्कुराहट में
छलक जाती है
मुस्कुराहट बनती है
अनोखा गहना
चेहरे की सुंदरता का
फिर क्या कहना
खुशी जो चेहरे से
यूँ छलकती है
महफिल में खुशी की
लहर महकती है
एक दिये से मिलकर
जलते है सौ दिये
आप यूँ ही मुस्कराएँ
सौ सौ साल जिये
तुषार जोशी, नागपुर
बुधवार, 2 मई 2007
सागर तट जाकर
सागर तट जाकर
बैठता हूँ कभी मैं
चिंताएँ अपनी
भूलता हूँ सभी मैं
निर्जन टापू पर
सुनकर लहरों को
हरदम होता हूँ
आनंदित और भी मैं
रुककर सुनता हूँ
प्रकृती का इशारा
आगे बढने का
बढता है बल मेरा
छोडता हूँ वही पर
कष्ट सारे जहाँ के
लेकर आता हूँ
महका सा एक चेहरा
तुषार जोशी, नागपुर
(छायाचित्र सौजन्य कृपाली)
मंगलवार, 1 मई 2007
ताज़गी
ताज़गी
यूँ छलकती है तेरे हसने से
जिन्दगी
यूँ महकती है तेरे हसने से
जी गया
मै तुझको देख के यूँ जी गया
पी गया
मै तेरी सुन्दरता पी गया
नशा नशा
अब मुझे हुआ है यूँ नशा नशा
अदा अदा
जितनी तेरी देखूँ अदा अदा
ताज़गी
यूँ छलकती है तेरे हसने से
जिन्दगी
यूँ महकती है तेरे हसने से
तुषार जोशी, नागपुर
हँसती हो तब
तुम हँसती हो तब
दिल की कलियाँ
खिल खिल जाती हैं
रूठ गईं थी
वो सब खुशीयाँ
लौट के आती हैं
तुम हँसती हो तब
जगमग जाते
कोई सौ दिये
पास हो जिसके
ऐसी दौलत
और क्या चाहिये
तुम हँसती हो जब
मन करता है
जान लुटा जाऊ
अपनी सारी
खुशियाँ तुम्हारे
नाम ही लिख आऊ
तुषार जोशी, नागपुर
हैरानी मे भी
मै सच कहता हूँ
तुमसा सुंदर
कोई नही जग में
तेरी उपमा बने
सितारा
कोई नहीं नभ में
सच्ची बताऊ
हैरानी की
बात नही कोई
हैरानी मे भी
तुमसा सुंदर
और नही कोई
झील के जैसी
आँखों का
जाम हो जाता है
तुम जो भी
करती हो उसका
नाम हो जाता है
तुषार जोशी, नागपुर
जिन्दगी उदास है
हवाए है थम गई
चमन फूलता नही
होश बदहवास है
जिन्दगी उदास है
रूक गये है रासते
आज मेरे वासते
किसकी यूँ तलाश है
जिन्दगी उदास है
आईना मै देखूँ क्या
कोई जो नहीं मेरा
दर्द मेरे पास है
जिन्दगी उदास है
तुषार जोशी, नागपुर
भयकंपित
भयकंपित हो
जब तुमने
दरवाजा खोला था
रबड था बुद्धू
साँप नही जो
हाथ में डोला था
मगर तुम्हारी
सूरत देखी
पछताया फिर मैं
तुम रूठी तो
जियूँगा कैसे
घबराया फिर मैं
देखो दोनों
हाथों से मै
कान पकडता हूँ
माफ करो
मत रूठों मुझसे
नाक रगडता हूँ
तुषार जोशी, नागपुर
तुम हस दिये तो
तुम हस दिये तो
सब सवाल धुल गये
क्यो खिली बहार?
सब जवाब मिल गये
तुम हस दिये तो
दिल नाचने लगा
जिन्दगी हसीन है
मन सोचने लगा
तुम हस दिये तो
दिन गया महक
खुश हुआ मैं यूँ
जैसे गुड मिला बालक
तुषार जोशी, नागपुर
सागर सी आखें
सागर सी आखें करती है
दिल को दिवाना
आंखो में भी नशा होता है
देख के है जाना
सुंदरता की परिभाषा को
बदल दिया तुमने
कैसे बताएँ सबको के क्या
देख लिया हमने
तुषार जोशी, नागपुर
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किसी दिवाने कवि की
तुम हसीन कविता हो
इतने सटीक नयन नक्श
कोई होश में रहकर
कैसे बना सकता है?
वो जरूर नशे में रहा होगा.
तुमको बनाने के बाद
उसने खुदसे वाह! कहा होगा.
सादगी से सुबह जैसे
कोई फूल मुस्कुराता हो
किसी दिवाने कवि की
तुम हसीन कविता हो
इतनी सादगी के साथ
दिल को चीरता हुआ
कोई कैसे मुस्का सकता है?
जरूर एक जादूगरनी हो
समा महका जाने वाली
तुम कस्तूरी हिरनी हो
पानी की चाह में जैसे
कोई मलहार गाता हो
किसी दिवाने कवि की
तुम हसीन कविता हो
तुषार जोशी, नागपुर