ईस चिठ्ठे पर लिखी कविताएँ तुषार जोशी, नागपूर ने साथ मेँ लगी तस्वीर को देखकर पहले दस मिनट में लिखीँ है। मगर फिर भी लेखक के संदर्भ, पूर्वानुभव और कल्पनाएँ उनमे उतर ही आती है। छायाचित्र सहयोग के लिये सभी छायाचित्र प्रदानकर्ताओं का दिल से धन्यवाद।
सागर सी आखें करती हैदिल को दिवानाआंखो में भी नशा होता हैदेख के है जानासुंदरता की परिभाषा कोबदल दिया तुमनेकैसे बताएँ सबको के क्यादेख लिया हमनेतुषार जोशी, नागपुर
सुन्दर! अति सुन्दर!
सुन्दर! अति सुन्दर!
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