ईस चिठ्ठे पर लिखी कविताएँ तुषार जोशी, नागपूर ने साथ मेँ लगी तस्वीर को देखकर पहले दस मिनट में लिखीँ है। मगर फिर भी लेखक के संदर्भ, पूर्वानुभव और कल्पनाएँ उनमे उतर ही आती है। छायाचित्र सहयोग के लिये सभी छायाचित्र प्रदानकर्ताओं का दिल से धन्यवाद।
..जो करती थी पसंद मुझको मुझे बिलकुल नही भातीजिसे मै ठीक कहता हुँ वो ना ना कह के है जाती तुम्हे जब देखने आया पता ना क्या हुआ मुझकोजिधर देखू मुझे तेरी ही सूरत है नज़र आतीतुषार जोशी, नागपुर
तुषारजी,इसके भाव तो ऊपर से ही निकल गये, कुछ भी समझ में नहीं आया है :)
तुषारजी,
जवाब देंहटाएंइसके भाव तो ऊपर से ही निकल गये, कुछ भी समझ में नहीं आया है :)