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अमलताश के फूल तुम्हारी
मधुर सादगी के लिये
इन ताज़ा मुस्कानों जैसी
स्वर्णिम जिंदगी के लिये
अमलताश के फूल नहीं यें
बच्चे हैं ठिठोली करते
जिवन की इस बगिया को
निर्मल सी हँसी से भरते
अमलताश के फुलों जैसा
जिवन खुशियों से भर जाए
एक दो पत्तियों जैसा
दुख बस थोडासा रह जाए
तुषार जोशी, नागपुर
ईस चिठ्ठे पर लिखी कविताएँ तुषार जोशी, नागपूर ने साथ मेँ लगी तस्वीर को देखकर पहले दस मिनट में लिखीँ है। मगर फिर भी लेखक के संदर्भ, पूर्वानुभव और कल्पनाएँ उनमे उतर ही आती है। छायाचित्र सहयोग के लिये सभी छायाचित्र प्रदानकर्ताओं का दिल से धन्यवाद।
शनिवार, 12 मई 2007
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अमलताश के फुलों जैसा
जवाब देंहटाएंजिवन खुशियों से भर जाए
एक दो पत्तियों जैसा
दुख बस थोडासा रह जाए
बहुत अच्छी लगी मुझे यह पंक्तियाँ।
wah sir, masta !!!
जवाब देंहटाएंHi Tushar,
जवाब देंहटाएंI feel honoured to see one of my picture becoming a subject of interest.
And that it is perceived poetically is very simply confirming Mother Nature's infinite beauty.
Your poetic charm has enhanced the beauty of this picture.
My best wishes.
Dinesh.