ईस चिठ्ठे पर लिखी कविताएँ तुषार जोशी, नागपूर ने साथ मेँ लगी तस्वीर को देखकर पहले दस मिनट में लिखीँ है। मगर फिर भी लेखक के संदर्भ, पूर्वानुभव और कल्पनाएँ उनमे उतर ही आती है। छायाचित्र सहयोग के लिये सभी छायाचित्र प्रदानकर्ताओं का दिल से धन्यवाद।
बुधवार, 2 मई 2007
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तुषार जी,
जवाब देंहटाएंआपकी कवितायें तो गंभीर होती ही हैं किंतु आपके फोटोग्राफ्स का कोई जवाब नहीं। आपको कोटिश: बधाई..
*** राजीव रंजन प्रसाद
काश ऐसा सागर तट आसानि से सभि को मिले जहा
जवाब देंहटाएंहम अपने सारे गम छोड कर आ सके.
खरच खुप छान आहे........................
सुन्दर! बहुत सुन्दर, एकांत का भी जीवन में बहुत महत्व है, सचमुच!
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