(छायाचित्रः आरजे दिपिका )
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वैसे तो मैं मानता था
ये दुनिया यूँ ही बन गई
रेंडम इत्तफाकों की तरह।
मगर..
तुम्हारी खुबसुरती को
कैसे समझाऊँ मैं..?
तुम्हारा वजूद तुम्हारी अदा
एक इत्तफाक है ये मन नहीं मानता ।
तुम्हे देखा है तबसे...
'उस' पर भरोसा सा होने लगा है।
बड़ी नज़ाकत से अपना सारा फ़न लगाकर;
तुमको बनाया होगा उसने।
मैं तो इसी बात पर ,
अपना सब कुछ निछावर करने को तैयार हूँ
के उसने मुझे...
तुम्हारे ज़माने में धरतीपर उतारा
जब वो बना रहा था तुम जैसा एक सितारा
.
तुष्की नागपुरी
नागपूर, २२ सितंबर २०१४, १९:३०
ये दुनिया यूँ ही बन गई
रेंडम इत्तफाकों की तरह।
मगर..
तुम्हारी खुबसुरती को
कैसे समझाऊँ मैं..?
तुम्हारा वजूद तुम्हारी अदा
एक इत्तफाक है ये मन नहीं मानता ।
तुम्हे देखा है तबसे...
'उस' पर भरोसा सा होने लगा है।
बड़ी नज़ाकत से अपना सारा फ़न लगाकर;
तुमको बनाया होगा उसने।
मैं तो इसी बात पर ,
अपना सब कुछ निछावर करने को तैयार हूँ
के उसने मुझे...
तुम्हारे ज़माने में धरतीपर उतारा
जब वो बना रहा था तुम जैसा एक सितारा
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तुष्की नागपुरी
नागपूर, २२ सितंबर २०१४, १९:३०
Aapka bht bht dhanyawad tusharji .. iss tareef ke liye, par aapki khoobsurat kavita ke aage har khoobsurti fiki hai :)
जवाब देंहटाएंMany thanks #rjdeepika
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