बुधवार, 7 सितंबर 2011

तुम्हारे लिये

(छायाचित्र सहयोग: निशिधा)
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साँवला ये रंग बना है
तुम्हारे लिये
सादगी का ढंग बना है
तुम्हारे लिये

तुम चुप रहे तो लगता है यूँ
कितनी बातों को कह गई तुम
तुम हँस दिये तो लगता है यूँ
उस चांदनी में बह जाए हम
खूबसूरती शब्द बना है
तुम्हारे लिये

तुम उँगलियाँ होठो के निचे
रखकर यूँ खो जातें कहीं
वो दिलकश मंजर दिल धडकाये
हाय तुम्हे तो पता ही नहीं
मासूमियत गहना बना है
तुम्हारे लिये

तुषार जोशी, नागपूर
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मंगलवार, 6 सितंबर 2011

मिठा झरना

(छायाचित्र सहयोग: निशिधा)
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ये स्काईप विंडो नहीं है
ये मेरा कोई सपना है
तुम परी हो पास जिसके
खुशियों का मिठा झरना है

बोलोना? कहती हो पर
देखने से फुरसत तो मिले
मेरी आँखें ये हसीन पल
जी भर के बटोर तो लें

जी भर के निहार लेने दो
ये भाग हमेशा नही खुलता है
बचाकर खर्चना पड़ता है
जो खजाना तरसाकर मिलता है

तुषार जोशी, नागपूर
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शनिवार, 3 सितंबर 2011

नरगिस

(छायाचित्र सहयोग: निशिधा )
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आज तुम यूँ साड़ी पहन कर सामने आ गई
मैं घटा मानता था तुम तो बिजली गिरा गई

सोचा था आज रूठा रहूँगा मानुंगा ना मै
तुम्हारी मुस्कराहट सारी शिकायत भुला गई

कितने देखे फूल जहाँ में दिल नहीं माना था
तुम्हारी एक अदा मुझे बस दिवाना बना गई

खुले बाल थे और पहना था सादगी का गहना
तुम्हारी छबी दिल-ओ-जाँ को पूरा हिला गई

यूँ अचानक खिल के आईं नसगिस जैसे तुम
मर गया मैं मरने में भी लज्जत दिला गई

तुषार जोशी, नागपूर
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