सोमवार, 1 अगस्त 2011

आज अचानक

(छायाचित्र सहयोग: रिधिमा कोटेचा)
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नाचूँ गाउँ धूम मचाउँ खुश हूँ मैं ईतना
आज अचानक सच हो गया मेरा ईक सपना

पकड पकड के सब लोगों को बात बताउँ मैँ
उमड रही खुशी ईतनी चिखूँ चिल्लाउँ मैँ
हँसी बनी है आज सुबह से होठों का गहना
आज अचानक सच हो गया मेरा ईक सपना

आज ना रोको गा लेने दो धून में अपनी ही
ईंतजार का फल मिठा है मान गए हम भी
आज किसी से हमें रही शिकायत कोई ना
आज अचानक सच हो गया मेरा ईक सपना

तुषार जोशी, नागपूर
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