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तुमने मुझे आकाश दिया
पूरी शक्ती से उडने के लिये
और एक घर बनाया
थक कर वापस लौटने के लिये
अब मै थोडा थोडा
बाँट रहा हूँ सबको आकाश
जिनको घर नही उनके
घर बसाने का प्रयास
राह तकता है कोई घर में
तुमने ऐसा विश्वास दिया
उस दिये से जला रहा हूँ
मिलने वाला हर उदास दिया
तुषार जोशी, नागपुर
शब्दचित्र नें हर बार की तरह निश्शब्द कर दिया।
जवाब देंहटाएं*** राजीव रंजन प्रसाद
बहुत उच्च दर्जे की सोच है आप की.. यह प्रयास अनवरत चलता रहना चाहिये...
जवाब देंहटाएंआस का दिया बुझे नही
ये सफ़र कहीं रुके नही
very nice and touching
जवाब देंहटाएंअति सुंदर ...अच्छी लगी आपकी रचना....बधाई
जवाब देंहटाएंkhub preraNaadaayee kavita hai.
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