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तुम कर लोगे
करने की शक्ति तुझमें है
सब समझ जाओगे
सृजनशील युक्ति तुझमें है
प्रगती के पाठ
हम गिरकर ही सिखतें हैं
जो गिरकर उठतें है
वें ही आखिर तक टीकते हैं
तुझे यश मिलेगा
प्रयत्नशील वृत्ति तुझमें है
तुम कर लोगे
करने की शक्ति तुझमें है
जब जमता नही है
मन मायूस होता है
विश्वास रखो होगा होगा
कहो तो हँसता है
तुझे विश्वास होगा
सद्विवेक बुद्धि तुझमें है
तुम कर लोगे
करने की शक्ति तुझमें है
तुषार जोशी, नागपुर
ईस चिठ्ठे पर लिखी कविताएँ तुषार जोशी, नागपूर ने साथ मेँ लगी तस्वीर को देखकर पहले दस मिनट में लिखीँ है। मगर फिर भी लेखक के संदर्भ, पूर्वानुभव और कल्पनाएँ उनमे उतर ही आती है। छायाचित्र सहयोग के लिये सभी छायाचित्र प्रदानकर्ताओं का दिल से धन्यवाद।
शुक्रवार, 8 जून 2007
तुझमें है
धन
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जब कोई नहीं होता
पेड के निचे तुमसे मिलने आता हूँ
सारा ताप भूल कर नवीन
इच्छा शक्ति की फेक्टरी बन जाता हूँ
तेरे बालों में उंगलीया फेर कर
हमेशा तीव्र उर्जा मिली है
तेरी खुशबू में नहा कर
मेरी प्रतिभा सज निकली है
तेरे होने से मेरा होना है
तेरा साथ ही मेरा जीवन है
मेरी प्यारी कविता तू ही
मेरे जीवन का अमुल्य धन है
तुषार जोशी, नागपुर
डर
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अपयश एक अवस्था है
समझें तो डर जाता रहता है
अपयश को मुह चिढाने का
मन में बल आता रहता है
भले परिस्थिती भयपूर्ण रूप ले
और धडकने बढाए हमारी
हमने कस कर पकड रखनी है
आत्मविश्वास की अपनी डोरी
अपयश स्वप्न राक्षस है
जब ये समझ लेते हो
उसके बाद सारी रात
घोडे बेच कर सो सकते हो
तुषार जोशी, नागपुर
गुरुवार, 7 जून 2007
आकाश
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तुमने मुझे आकाश दिया
पूरी शक्ती से उडने के लिये
और एक घर बनाया
थक कर वापस लौटने के लिये
अब मै थोडा थोडा
बाँट रहा हूँ सबको आकाश
जिनको घर नही उनके
घर बसाने का प्रयास
राह तकता है कोई घर में
तुमने ऐसा विश्वास दिया
उस दिये से जला रहा हूँ
मिलने वाला हर उदास दिया
तुषार जोशी, नागपुर
बुधवार, 6 जून 2007
जिया
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हमेशा की तरह जब हम
नुक्कड पर चाट खा रहे थे
तुमने बातों बातों में
तब वो कह दिया
क्या तुम मेरी
ज़िंदगी भर के लिये
हमसफर बनोगी जिया
मै देखती ही रह गई
मेरी सारी हँसी
आश्चर्य में बह गई
कितनी आसानी से
तुमने सिधे सिधे पुछ लिया
अब मै किस तरहा
सम्हालूँ धडकता हुआ जिया
चेहरे से शरमाहट मै
रोक नही पाई
आज मेरे लिये ये शाम
क्या बन कर आई
तुमको पता नहीं पगले
ये तुमने क्या कर दिया
उस सवाल के बाद का वक्त
मैने किस तरहा से है जिया
मुझे जवाब देने को
वक्त चाहिये कहकर
मै भाग निकली
रात मैने कैसे काटी
कितनी करवटें बदली
सुबह फिर तुमको
ये कहने को फोन किया
ना कैसे कहूँ मैं
तुम्हारी ही तो हूँ जिया
तुषार जोशी, नागपुर
क्या तुम
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सुबह उठते ही
तुम्हारे यादों की खुशबू
तन बदन पर
छा जाती है
आईने में देखता हूँ
तो तुम्हारी छवी
धिरे से मुस्कराती है
छोटी से छोटी बात भी
मै तुम्हे बताना चाहता हूँ
तुम्हारे साथ क्या क्या
बाते करनी है
तुम ना होने पर
यहीं सोचते रहता हूँ
तुमसे झगडा होता है जब
तुमसे ही तुम्हारी शिकायत
मै करता हूँ सब लोगों में
आदतन तुम्हारी हिमायत
दोस्तों में जब कोई बात
दिल से छू जाती है
और मै देखता हूँ तुम्हारी तरफ
तो पाता हूँ तुम्हे पहले से ही
देखता हुआ मेरी तरफ
हर बात में मेरी ज़िंदगी
तुम तक आकर रूक जाती है
तुमसे मेरे दिन रंगीं है
तुमसे मेरी खुशीयाँ आती हैं
तुम्हारे साथ रहकर तुमको
थोडा सा हँसाना चाहता हूँ
तुमसे जमकर झगडा करके
फिर तुमको मनाना चाहता हूँ
कहते हैं ज़िदगी का सफर नही आसान
मगर फिर भी मेरे साथ साथ चलोगी?
अकेले है मुश्किल,
तुम साथ हो तो आसान
क्या तुम मुझसे शादी करोगी?
तुषार जोशी, नागपुर
मंगलवार, 5 जून 2007
मुलाकात
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बहोत दिनों बाद
मुझसे मिलने गया
बोला आजकल
आते ही नही हो
और मैने देखा है
पहले की तरह
छोटी छोटी बातों पर
खिलखिलाते भी नहीं हो
हा यार मै बोला
वक्त ही नही मिलता
दिन कैसे गुज़र जाता है
पता ही नहीं चलता
अब भागदौड की ज़िंदगी में
जैसे खो गया हूँ
मशीनों के साथ रहते रहते
मशीन हो गया हूँ
मैं बोला मेरी मानो
दिन का एक घंटा तो
मेरे लिये निकालो
छूटती हुई ज़िंदगी से
कुछ तो पल बचालो
गप्पे लडाते साथ बैठेंगे
पुरानी यादों में
घूल कर हँस लेंगे
फिर जब जाओगे
खुशीयाँ ले जाओगे
अपनी बैटरी को तुम
रिचार्ज पाओगे
वो बात तो मेरे
दिल में उतर गई
और मैने भी मुझसे
कर दिया वादा
दिन में एक बार
जरूर मिलने जाऊंगा
भले मिले एक घंटा
या सिर्फ आधा
तुषार जोशी, नागपुर
तलाश
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मुझे कुछ तलाश है
जो जो होना चाहिये
वो तो मेरे पास है
फिर भी कुछ तलाश है
एक जगह चाहिये जहाँ
सारा प्यार लुटा सकूँ
ऐसा काम के जहाँ
खुदको मैं भुला सकूँ
किसी अंजान मंज़िल की
अंजान सी प्यास है
मुझे कुछ तलाश है
एक कदम उधर जहाँ
दुख अधिक हो सुख हो कम
आसानी से जो ना हो
करते करते निकले दम
घोसले को छोड कर
उडने का प्रयास है
मुझे कुछ तलाश है
तुषार जोशी, नागपुर