बुधवार, 2 नवंबर 2011

तुम जो आए

(छायाचित्र सहयोग: नेहा)
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सादगी ये कहाँ से तुम लाए
होशवालों के होश उड जाए

तुम जो आए हमारे घर में जी
लगता है दिन में चांदनी आए

भूल जातें है सारे शिकवे हम
तुम नज़ाक़त से ऐसे मुसकाए

होश कैसे रहे ठिकाने पे
सावले रंग से नशा छाए

तुम ना थे तो कोई ग़म ना था
तुम जो आए दर्दे दिल लाए

तुमने आँखों से कह दिया क्या है
दिल तडपता है कह उठे हाए

तुषार जोशी, नागपूर
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