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कैसी हो तुम पुछे कोई
मुझको आते जाते
हर मौके पर बिना वजह वो
करना चाहे बातें
छोटी छोटी बातें मेरी
याद रखीं जाती हैं
पेन भी अगर भुलूँ जो मैं
झट से नज़र होती है
ज़रासा अगर कह डालू मैं
मन उदास है मेरा
मुझसे ज्यादा उदास होकर
लटके उसका चेहरा
इन बातों का मतलब मुझको
साफ नज़र आता है
मेरी राहों में दिवाना
दिल को बिछा जाता है
मैं हलके से हँस दूँ जब भी
नज़रे मिलती उससे
सब कुछ कहता असल बात वो
कहता है ना मुझसे
मै क्या बोलूँ आँखें मेरी
कहती हैं सब बातें
उस लल्लू को खुदा ज़रासी
हिम्मत तो दे जाते
तुषार जोशी, नागपूर
ईस चिठ्ठे पर लिखी कविताएँ तुषार जोशी, नागपूर ने साथ मेँ लगी तस्वीर को देखकर पहले दस मिनट में लिखीँ है। मगर फिर भी लेखक के संदर्भ, पूर्वानुभव और कल्पनाएँ उनमे उतर ही आती है। छायाचित्र सहयोग के लिये सभी छायाचित्र प्रदानकर्ताओं का दिल से धन्यवाद।
शनिवार, 12 जनवरी 2008
हिम्मत
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sundar,pyar tho aisa hi hota hai,nadan.
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