ईस चिठ्ठे पर लिखी कविताएँ तुषार जोशी, नागपूर ने साथ मेँ लगी तस्वीर को देखकर पहले दस मिनट में लिखीँ है। मगर फिर भी लेखक के संदर्भ, पूर्वानुभव और कल्पनाएँ उनमे उतर ही आती है। छायाचित्र सहयोग के लिये सभी छायाचित्र प्रदानकर्ताओं का दिल से धन्यवाद।
भयकंपित हो जब तुमने दरवाजा खोला थारबड था बुद्धूसाँप नही जोहाथ में डोला थामगर तुम्हारीसूरत देखीपछताया फिर मैंतुम रूठी तोजियूँगा कैसेघबराया फिर मैंदेखो दोनोंहाथों से मैकान पकडता हूँमाफ करोमत रूठों मुझसेनाक रगडता हूँतुषार जोशी, नागपुर
aapaka शब्द चित्र achha lagaa.tushaar jee..chitron ne kaavya ke svaroop ko aur bhee nikhaar diya hai.aabhaarsasnehgita
आपकी पंक्तियों ने चित्र की सुन्दरता बढ़ा दी है, बहुत ही सुन्दर रचते है आप, मानों चित्र नहीं साक्षात वार्ता कर रहें हो।बधाई!
khupach saral sadhi pan sachchi vatate hi kavita mala....
aapaka शब्द चित्र achha lagaa.
जवाब देंहटाएंtushaar jee..chitron ne
kaavya ke svaroop ko
aur bhee nikhaar diya hai.
aabhaar
sasneh
gita
आपकी पंक्तियों ने चित्र की सुन्दरता बढ़ा दी है, बहुत ही सुन्दर रचते है आप, मानों चित्र नहीं साक्षात वार्ता कर रहें हो।
जवाब देंहटाएंबधाई!
khupach saral sadhi pan sachchi vatate hi kavita mala....
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