ये दुनिया यूँ ही बन गई
रेंडम इत्तफाकों की तरह।
मगर..
तुम्हारी खुबसुरती को
कैसे समझाऊँ मैं..?
तुम्हारा वजूद तुम्हारी अदा
एक इत्तफाक है ये मन नहीं मानता ।
तुम्हे देखा है तबसे...
'उस' पर भरोसा सा होने लगा है।
बड़ी नज़ाकत से अपना सारा फ़न लगाकर;
तुमको बनाया होगा उसने।
मैं तो इसी बात पर ,
अपना सब कुछ निछावर करने को तैयार हूँ
के उसने मुझे...
तुम्हारे ज़माने में धरतीपर उतारा
जब वो बना रहा था तुम जैसा एक सितारा
.
तुष्की नागपुरी
नागपूर, २२ सितंबर २०१४, १९:३०
.
किसी दिवाने कवि की
तुम हसीन कविता हो
इतने सटीक नयन नक्श
कोई होश में रहकर
कैसे बना सकता है?
वो जरूर नशे में रहा होगा.
तुमको बनाने के बाद
उसने खुदसे वाह! कहा होगा.
सादगी से सुबह जैसे
कोई फूल मुस्कुराता हो
किसी दिवाने कवि की
तुम हसीन कविता हो
इतनी सादगी के साथ
दिल को चीरता हुआ
कोई कैसे मुस्का सकता है?
जरूर एक जादूगरनी हो
समा महका जाने वाली
तुम कस्तूरी हिरनी हो
पानी की चाह में जैसे
कोई मलहार गाता हो
किसी दिवाने कवि की
तुम हसीन कविता हो
तुषार जोशी, नागपुर