मंगलवार, 23 सितंबर 2014

सितारा

(छायाचित्रः आरजे दिपिका )
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वैसे तो मैं मानता था
ये दुनिया यूँ ही बन गई
रेंडम इत्तफाकों की तरह।
मगर..
तुम्हारी खुबसुरती को
कैसे समझाऊँ मैं..?
तुम्हारा वजूद तुम्हारी अदा
एक इत्तफाक है ये मन नहीं मानता ।
तुम्हे देखा है तबसे...
'उस' पर भरोसा सा होने लगा है।
बड़ी नज़ाकत से अपना सारा फ़न लगाकर;
तुमको बनाया होगा उसने।
मैं तो इसी बात पर ,
अपना सब कुछ निछावर करने को तैयार हूँ
के उसने मुझे...
तुम्हारे ज़माने में धरतीपर उतारा
जब वो बना रहा था तुम जैसा एक सितारा
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तुष्की नागपुरी
नागपूर, २२ सितंबर २०१४, १९:३०

शनिवार, 7 जून 2014

झील

(छायाचित्र सहयोग: वसुधा )
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तुम्हारी जुल्फ के खुलने से महका है यहाँ मौसम
घटा घिर आई धीरे से रूमानी हो गया आलम
इन्हे इतना संजोके भी कोई रखता है क्या पगली
उलझ बैठे हैं इनमें यूँ होश में आ सके ना है हम
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कभी लगता है रेशम की घनेरी झील है कोई
कभी लगता फरिश्तों ने हैँ कुछ रातें यहाँ खोई
कभी कहना मैं चाहूँ इनको खुशबू का कोई दरिया
कभी लगता है नागिन है अदा से जो यहाँ सोई
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कभी देखा नही इतनी बड़ी जुल्फें तुम्हारी हैं
इन्हें संभालके रखना गुजारिश ये हमारी है
ज़माने की कई वजहें इन्हें कटवाना चाहेंगी
बचा लेना घनी दुनिया जो बरसों सें सँवारी है
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~ तुष्की,
नागपूर, ०७ जून २०१४, ०१:००

गुरुवार, 5 जून 2014

सौगात

(छायाचित्र सहयोग: वसुधा )
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तुम आये हो मिलने मुझे, मै भी तो हूँ पागल
सब छोड़ छाड़ काम मैं, घर से पड़ी निकल
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ईस बार जो आये हो तो मिलना जऱा खुलके
मैं लाई हूँ सिमटे हुए अरमान ये दिल के
जी लूँ जऱा मैं टूटके खुशियोँ से भरे पल
सब छोड़ छाड़ काम मैं, घर से पड़ी निकल
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भरलो मुझे बाहों में रूह को पिघलने दो
मन बहकेगा दिल धडकेगा खुलके धडकने दो
मस्ती भरी सौगात से भर लू मेरा आँचल
सब छोड़ छाड़ काम मैं, घर से पड़ी निकल
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लाते हो तुम साथ भिगाभिगा सा मौसम
छोड के जाते हो तुम हो जाते कहीं गुम
जाना नहीं इस बार मेरे सुनहरे बादल
सब छोड़ छाड़ काम मैं, घर से पड़ी निकल
.
~ तुष्की
नागपूर, ०५ जून २०१४, ०८:३०

शनिवार, 20 जुलाई 2013

बचाकर रखना होगा

(छायाचित्र सहयोग: अपराजिता
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आईने को तुमसे बचाकर रखना होगा
वो जलकर टूट भी सकता है
चैन को अपने सम्हाले रखना होगा
तुम हँसे तो छूट भी सकता है

भूलता ही नहीं तुम्हारे अहसास का कोई भी पल
उफ वो गहरी आँखे बड़ी बड़ी उफ वो प्यारा डिंपल
तुम ना निहारना मुझे ज्यादा देर तक
सब्र का बांध फूट भी सकता है
आईने को तुमसे बचाकर रखना होगा
वो जलकर टूट भी सकता है

तुम सँजती हो तो लगे दुनिया दुलहन सी हँसीन
लगता है जैसे जिंदगी हो गई हो अचानक रंगीन
दिल मनाए त्योहार तुम्हारे आने से
जाओ तो रूठ भी सकता है
आईने को तुमसे बचाकर रखना होगा
वो जलकर टूट भी सकता है

~ तुष्की
नागपूर, २० जुलाई २०१३, १८:००

सोमवार, 11 फ़रवरी 2013

चाँदनी

(छायाचित्र सहयोगः रेखा )
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आप देखते हो तो लगता है
सर्दियों की धूप जैसी
तपिश में तप रहा है मन
और आँखे झुका लेते हो
तो जैसे चाँदनी बिखर जाती है

आपको पता ना हो मगर
आपकी अदाओं से
मचती है उथल पुथल मन में
आपके खुले बाल, वो सुनहरी बिंदी
आपकी हलकी हँसी
इक लहर कि तरह आतीं है
और सुनामी बनकर बरसती हैं
दिल की बस्ती में

नींद और चैन
बहा ले जातें हो आप
और हम रह जातें है
भरते हुए आहें
और करते हुए इंतजार
दुसरी लहर का
फिरसे मिट जाने के लिये.

~ तुष्की
११ फेब्रुवारी २०१३, १०:००

सोमवार, 10 सितंबर 2012

मोतीयों की लडी

(छायाचित्र सहयोग: कोमल )
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हँसी है तुम्हारी जैसे बरखा की झडी
होठों पे चमके देखो मोतीयों की लडी

खुशी छलकाती आँखें खिलाखिला ये चेहरा
भर देता है मौसम में रंग हरा और गहरा
लगता है आसमानी परी सामने खडी
होठों पे चमके देखो मोतीयों की लडी

सुंदरता सादगी है हँसी तुम्हारा गहना
जीवनभर इसी तऱ्हा तुम खुशी बाँटते रहना
तुम जब हो पास वो है बड़ी सुहानी घडी
होठों पे चमके देखो मोतीयों की लडी

तुषार जोशी, नागपूर
१० सितंबर २०१२, ११:४५

शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

क्लीक के काबिल

(छायाचित्र सहयोग: मनाली)
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आप जब भी कह दोगे स्माईल प्लीज़
सामने वाले को लगने लगेगी दुनिया अज़ीज़

आपको देख कर वो तो दंग रह जायेगा
उसका फोटो ज़ाहिर है बढ़िया ही आयेगा

आपने याद रखना चाहा ये क्या कम है
यही खुशी है के आपके क्लीक के काबिल हम है

तुषार जोशी, नागपूर
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बुधवार, 2 नवंबर 2011

तुम जो आए

(छायाचित्र सहयोग: नेहा)
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सादगी ये कहाँ से तुम लाए
होशवालों के होश उड जाए

तुम जो आए हमारे घर में जी
लगता है दिन में चांदनी आए

भूल जातें है सारे शिकवे हम
तुम नज़ाक़त से ऐसे मुसकाए

होश कैसे रहे ठिकाने पे
सावले रंग से नशा छाए

तुम ना थे तो कोई ग़म ना था
तुम जो आए दर्दे दिल लाए

तुमने आँखों से कह दिया क्या है
दिल तडपता है कह उठे हाए

तुषार जोशी, नागपूर
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मंगलवार, 1 नवंबर 2011

मासूम सवाल

(छायाचित्र सहयोग: नेहा)
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आपकी नज़र का कमाल तो देखो
धडकते हुए दिल का हाल तो देखो

इस कदर जुल्फें खुली घटा शरमा गइ
हमने जो कहीं वो मिसाल तो देखो

गालों पर आजायेँ किस तरह ईतराए
देखो उस लट की मजाल तो देखो

आपने प्यार से जो हमें यूँ देख लिया
कितने दिल टुट गए बवाल तो देखो

आप हमें सालों पहले क्यों ना मिले
कितना मासूम है ये सवाल तो देखो

तुषार जोशी, नागपूर
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शनिवार, 29 अक्तूबर 2011

तुम्हारी याद

(छायाचित्र सहयोग: रिधिमा)
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तुम्हारी याद जब भी आती है
जड़ से हिलाती है
महकाकर जाती है

तुम्हारी हँसीं की खनखनाहट
यूँ रोम रोम में अंकित होती है
जैसे याद में नहीं
सच में ही तुम फिर से आ गए हो

तुम्हारी छवी आँखों में
इस तरह डेरा डाल बैठी हैं
लगता है अभी हाथ बढाकर
सहला लूँ तुम्हारे बालों को

बस इक याद में भी
हरदम महसूस होते हो
लगता है धीरे से हाथों को
छू लिया है तुमने
मै कितनी ही देर तक
हाथों को तकता रहता हूँ

उफ तुम्हारी याद जब भी आती है
जड़ से हिलाती है
महका कर जाती है मुझको

तुषार जोशी, नागपूर
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बुधवार, 7 सितंबर 2011

तुम्हारे लिये

(छायाचित्र सहयोग: निशिधा)
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साँवला ये रंग बना है
तुम्हारे लिये
सादगी का ढंग बना है
तुम्हारे लिये

तुम चुप रहे तो लगता है यूँ
कितनी बातों को कह गई तुम
तुम हँस दिये तो लगता है यूँ
उस चांदनी में बह जाए हम
खूबसूरती शब्द बना है
तुम्हारे लिये

तुम उँगलियाँ होठो के निचे
रखकर यूँ खो जातें कहीं
वो दिलकश मंजर दिल धडकाये
हाय तुम्हे तो पता ही नहीं
मासूमियत गहना बना है
तुम्हारे लिये

तुषार जोशी, नागपूर
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मंगलवार, 6 सितंबर 2011

मिठा झरना

(छायाचित्र सहयोग: निशिधा)
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ये स्काईप विंडो नहीं है
ये मेरा कोई सपना है
तुम परी हो पास जिसके
खुशियों का मिठा झरना है

बोलोना? कहती हो पर
देखने से फुरसत तो मिले
मेरी आँखें ये हसीन पल
जी भर के बटोर तो लें

जी भर के निहार लेने दो
ये भाग हमेशा नही खुलता है
बचाकर खर्चना पड़ता है
जो खजाना तरसाकर मिलता है

तुषार जोशी, नागपूर
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शनिवार, 3 सितंबर 2011

नरगिस

(छायाचित्र सहयोग: निशिधा )
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आज तुम यूँ साड़ी पहन कर सामने आ गई
मैं घटा मानता था तुम तो बिजली गिरा गई

सोचा था आज रूठा रहूँगा मानुंगा ना मै
तुम्हारी मुस्कराहट सारी शिकायत भुला गई

कितने देखे फूल जहाँ में दिल नहीं माना था
तुम्हारी एक अदा मुझे बस दिवाना बना गई

खुले बाल थे और पहना था सादगी का गहना
तुम्हारी छबी दिल-ओ-जाँ को पूरा हिला गई

यूँ अचानक खिल के आईं नसगिस जैसे तुम
मर गया मैं मरने में भी लज्जत दिला गई

तुषार जोशी, नागपूर
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सोमवार, 1 अगस्त 2011

आज अचानक

(छायाचित्र सहयोग: रिधिमा कोटेचा)
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नाचूँ गाउँ धूम मचाउँ खुश हूँ मैं ईतना
आज अचानक सच हो गया मेरा ईक सपना

पकड पकड के सब लोगों को बात बताउँ मैँ
उमड रही खुशी ईतनी चिखूँ चिल्लाउँ मैँ
हँसी बनी है आज सुबह से होठों का गहना
आज अचानक सच हो गया मेरा ईक सपना

आज ना रोको गा लेने दो धून में अपनी ही
ईंतजार का फल मिठा है मान गए हम भी
आज किसी से हमें रही शिकायत कोई ना
आज अचानक सच हो गया मेरा ईक सपना

तुषार जोशी, नागपूर
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रविवार, 31 जुलाई 2011

किमत

(छायाचित्र सहयोग: रिधिमा कोटेचा)
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आपकी अदाएँ मौसम को
उँगलीयों पर नचाती है
आप जो भी पहन लेते हो
उसकी किमत बढ जाती है

काला लाल हरा जामुनी
सब आपके गुलाम है यहाँ
आपने पहना  ईसी बात से
उनकी कलीयाँ खिल जाती है

सहजता से हँसीं उदासी
कैसे पहन लेती है आप
चाहें कोई भी अदा हो
बस दिवाना कर जाती है

तुषार जोशी, नागपूर
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सोमवार, 4 जुलाई 2011

तेरी मेरी दोसती

( छायाचित्र सहयोग: पूजा-यामिनी)
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तेरी मेरी दोसती
धूँप कभी छाँव है
सुनहरे सपनों का
अपनासा गाँव है

मेरा दिल जाने तू
तेरा दिल जानु मैं
दुर हैं या पास हैं
आयेंगे कितने पर
दोसतों में यूँ मगर
तू ही मेरी खास है
झगडा तेरे साथ है
मस्ती तेरे साथ है
सारी जिंदगी

तेरी मेरी दोसती
धूँप कभी छाँव है
सुनहरे सपनों का
अपनासा गाँव है

तू जरा हँस दे तो
महका दे दिन सारा
तू खुशी है जान है
गम को भी अपनाए तू
सहती चली जाए तू
आँखों में मुसकान है
तू हमेशा पास है
मन में ये अहसास है
सारी जिंदगी

तेरी मेरी दोसती
धूँप कभी छाँव है
सुनहरे सपनों का
अपनासा गाँव है

तुषार जोशी, नागपूर

मंगलवार, 17 मई 2011

डूब जाओगे

(छायाचित्र सहयोग: पूजा)
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ईतना पास आकर देखोगे
तो डूब जाओगे
फिर ना कहना, बताया नहीं था

पलकों तले देखोगे तो
सब पढ पाओगे
जो मन में था, जताया नहीं था

कहीं मन की गहराईयों में
तुम्हारा ही नाम
लिखा था और, मिटाया नहीं था

फिर लौट नहीँ पाओगे पगले
मेरे हो जाओगे
खुद आये थे तुम, बुलाया नहीं था

तुषार जोशी, नागपूर
१६ मई २०११, २३:००
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रविवार, 15 मई 2011

कितना प्यार

(छायाचित्र सौजन्य: पूजा)
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कितना प्यार
कितना प्यार तेरी आँखों में
उमड रहा है
यूँ बेकरार
कितना प्यार

मेरी उडान
देखकर तुम्हे जो मिलती है खुशी
वही छलकती है आँखों से
धन्य हो जाता हूँ
आँखें नीर बहार
कितना प्यार

कितना साधारण हूँ
सब जैसा ही एक
तुम ईतना विश्वास जताकर
बल देते हो
महान कर देते हो यार
कितना प्यार

यही भरोसा
टिकने के लिये
कुछ भी कर जाऊंगा मैं
जब पता चलेगा
देखुंगा हर बार
कितना प्यार

तुषार जोशी, नागपूर
१५ मई २०११, २१:२५

मंगलवार, 26 अक्तूबर 2010

अच्छा जी तो तुम हँस दिये

(छायाचित्र सहयोग: पूजा )
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कहाँ से आई रोशनी ईतनी? अच्छा जी तो तुम हँस दिये
फिकी लगे चाँदनी कितनी, अच्छा जी तो तुम हँस दिये

पता नहीं था कुछ कुछ होगा कभी अपने भी दिल के साथ
हालत बिगडी क्यों अपनी? अच्छा जी तो तुम हँस दिये

अचानक क्यों सुहाना सा मौसम हो गया ईतना
है खुशबू जानी पहचानी, अच्छा जी तो तुम हँस दिये

सुना है ढुँढता फिरता है भँवरा फुलों को हुआ क्या है
फूल है शर्म से पानी, अच्छा जी तो तुम हँस दिये

तुषार जोशी, नागपूर
२६ अक्टूबर २०१०, २३:४५
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लगे जैसे मिली मंझिल

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(छायाचित्र सहयोग: पूजा )
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तुम्हारी वो हँसी देखी वहीं पर खो चुके हम दिल
तुम्हारा पास यूँ होना लगे जैसे मिली मंझिल

कहा से लाये हो तुम सादगी का ये हँसी गहना
तुम्हे देखा तो दिल सोचे सलोनी तुम परी हो ना?
तुम्हारी चाँदनी से हो हमारी राह भी झिलमिल
तुम्हारा पास यूँ होना लगे जैसे मिली मंझिल

लटें जब आती है माथें पे जादू करती है कितना
शरारत से भरी आँखे कहर ये ढाती है कितना
सम्हाले कैसे खुदको हैं अभी ईतने नहीं काबिल
तुम्हारा पास यूँ होना लगे जैसे मिली मंझिल

तुषार जोशी, नागपूर
२६ अक्तुबर २०१०, २२:००
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गुरुवार, 8 जुलाई 2010

आप फिर मुस्कुरा दिये

(छायाचित्र सहयोग: निधी)

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बडी मुश्कील से अभी
दिल जरा सम्हँला था
आप फिर मुस्कुरा दिये
दिल तेज धडकने लगा
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हवाएँ तेज बहनें लगीं
घिर आये घने बादल
तीर निशाने जा लगा
हम हो गए घायल
पंछी झुमने चहकने लगे
जर्रा जर्रा महकने लगा
आप फिर मुस्कुरा दिये
दिल तेज धडकने लगा
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आपकी सुहानी हँसी में
पायी हर मर्ज की दवा
आप सिर्फ हँस दिये पर
गजब का असर हुवा
वक्त थम गया वहीं पर
समय बहकने लगा
आप फिर मुस्कुरा दिये
दिल तेज धडकने लगा
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तुषार जोशी, नागपूर
०८ जुलै २०१०, २१:३०
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शनिवार, 12 जनवरी 2008

अजब तमाशा


The Gaze, originally uploaded by Windowshopper's back.

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तमतमाया चेहरा
आँखो में प्यार देखा
चंदा को धूप के संग
हमने तो यार देखा

वो भली बुरी बातें
चेहरे पे उनके कहना
और दिल ही दिल में उनपे
किसीका मरते रहना
लेकर उन्हीं की यादों को
बेकरार देखा
चंदा को धूप के संग
हमने तो यार देखा

मिलने को ना आना तुम
होठों से उनको कहना
आँखों से फिर भी उनकी
राहों को तकते रहना
कैसा अजब तमाशा
कैसा करार देखा
चंदा को धूप के संग
हमने तो यार देखा

तुषार जोशी, नागपूर

हिम्मत


A friend - Faizy, originally uploaded by Windowshopper's back.

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कैसी हो तुम पुछे कोई
मुझको आते जाते
हर मौके पर बिना वजह वो
करना चाहे बातें

छोटी छोटी बातें मेरी
याद रखीं जाती हैं
पेन भी अगर भुलूँ जो मैं
झट से नज़र होती है

ज़रासा अगर कह डालू मैं
मन उदास है मेरा
मुझसे ज्यादा उदास होकर
लटके उसका चेहरा

इन बातों का मतलब मुझको
साफ नज़र आता है
मेरी राहों में दिवाना
दिल को बिछा जाता है

मैं हलके से हँस दूँ जब भी
नज़रे मिलती उससे
सब कुछ कहता असल बात वो
कहता है ना मुझसे

मै क्या बोलूँ आँखें मेरी
कहती हैं सब बातें
उस लल्लू को खुदा ज़रासी
हिम्मत तो दे जाते

तुषार जोशी, नागपूर

सोमवार, 7 जनवरी 2008

तुमने तो


reading, originally uploaded by krupali.

,

तुमने अभी अभी
मन लगाकर पढ़ डाला
वो मेरा चेहरा था

तुमने तो चुटकी में
जिसको हल कर डाला
राज़ कितना गहरा था

मै तो कितनी सदियों से
तुमको पढ़ना चाहता हूँ
लेकिन पढ़ ना पाया

तुमने तो मेरे ही
दिल का हर एक जर्रा
मुझको कहके दिखलाया

तुषार जोशी, नागपूर

सोमवार, 17 दिसंबर 2007

बरफ


conversations, originally uploaded by krupali.

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कुछ नही होगा
थोडा धीरज रखो
तुमको क्या मिला है
पहले ये तो देखो

झगडा ही हुआ है
ये प्यार ही तो है
कोई राह चलते लडकी से
लडता नही है

तुझमें शक्ती है पगली
प्यार करते रहने की
तुम तो हल कर लोगी
हर मुश्किल जिने की

चलो अब हँसदो
देखो मेरी तरफ
तुम तोड सकती हो ये
मन मुटाव कि बरफ

तुषार जोशी, नागपूर
१७ डिसेंबर २००७

शुक्रवार, 8 जून 2007

तुझमें है


group effort, originally uploaded by amrita b.

.
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तुम कर लोगे
करने की शक्ति तुझमें है
सब समझ जाओगे
सृजनशील युक्ति तुझमें है

प्रगती के पाठ
हम गिरकर ही सिखतें हैं
जो गिरकर उठतें है
वें ही आखिर तक टीकते हैं
तुझे यश मिलेगा
प्रयत्नशील वृत्ति तुझमें है

तुम कर लोगे
करने की शक्ति तुझमें है

जब जमता नही है
मन मायूस होता है
विश्वास रखो होगा होगा
कहो तो हँसता है
तुझे विश्वास होगा
सद्विवेक बुद्धि तुझमें है

तुम कर लोगे
करने की शक्ति तुझमें है

तुषार जोशी, नागपुर

धन


beach view classroom, originally uploaded by amrita b.

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जब कोई नहीं होता
पेड के निचे तुमसे मिलने आता हूँ
सारा ताप भूल कर नवीन
इच्छा शक्ति की फेक्टरी बन जाता हूँ

तेरे बालों में उंगलीया फेर कर
हमेशा तीव्र उर्जा मिली है
तेरी खुशबू में नहा कर
मेरी प्रतिभा सज निकली है

तेरे होने से मेरा होना है
तेरा साथ ही मेरा जीवन है
मेरी प्यारी कविता तू ही
मेरे जीवन का अमुल्य धन है

तुषार जोशी, नागपुर

डर


stomp, originally uploaded by amrita b.

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अपयश एक अवस्था है
समझें तो डर जाता रहता है
अपयश को मुह चिढाने का
मन में बल आता रहता है

भले परिस्थिती भयपूर्ण रूप ले
और धडकने बढाए हमारी
हमने कस कर पकड रखनी है
आत्मविश्वास की अपनी डोरी

अपयश स्वप्न राक्षस है
जब ये समझ लेते हो
उसके बाद सारी रात
घोडे बेच कर सो सकते हो

तुषार जोशी, नागपुर

गुरुवार, 7 जून 2007

आकाश


Whirling Clouds©, originally uploaded by Soumyadeb Sinha.

.
.
तुमने मुझे आकाश दिया
पूरी शक्ती से उडने के लिये
और एक घर बनाया
थक कर वापस लौटने के लिये

अब मै थोडा थोडा
बाँट रहा हूँ सबको आकाश
जिनको घर नही उनके
घर बसाने का प्रयास

राह तकता है कोई घर में
तुमने ऐसा विश्वास दिया
उस दिये से जला रहा हूँ
मिलने वाला हर उदास दिया

तुषार जोशी, नागपुर

बुधवार, 6 जून 2007

जिया

.
.
हमेशा की तरह जब हम
नुक्कड पर चाट खा रहे थे
तुमने बातों बातों में
तब वो कह दिया
क्या तुम मेरी
ज़िंदगी भर के लिये
हमसफर बनोगी जिया
मै देखती ही रह गई
मेरी सारी हँसी
आश्चर्य में बह गई
कितनी आसानी से
तुमने सिधे सिधे पुछ लिया
अब मै किस तरहा
सम्हालूँ धडकता हुआ जिया
चेहरे से शरमाहट मै
रोक नही पाई
आज मेरे लिये ये शाम
क्या बन कर आई
तुमको पता नहीं पगले
ये तुमने क्या कर दिया
उस सवाल के बाद का वक्त
मैने किस तरहा से है जिया
मुझे जवाब देने को
वक्त चाहिये कहकर
मै भाग निकली
रात मैने कैसे काटी
कितनी करवटें बदली
सुबह फिर तुमको
ये कहने को फोन किया
ना कैसे कहूँ मैं
तुम्हारी ही तो हूँ जिया

तुषार जोशी, नागपुर

क्या तुम


handful, originally uploaded by Gauri V.

.
.
सुबह उठते ही
तुम्हारे यादों की खुशबू
तन बदन पर
छा जाती है
आईने में देखता हूँ
तो तुम्हारी छवी
धिरे से मुस्कराती है
छोटी से छोटी बात भी
मै तुम्हे बताना चाहता हूँ
तुम्हारे साथ क्या क्या
बाते करनी है
तुम ना होने पर
यहीं सोचते रहता हूँ
तुमसे झगडा होता है जब
तुमसे ही तुम्हारी शिकायत
मै करता हूँ सब लोगों में
आदतन तुम्हारी हिमायत
दोस्तों में जब कोई बात
दिल से छू जाती है
और मै देखता हूँ तुम्हारी तरफ
तो पाता हूँ तुम्हे पहले से ही
देखता हुआ मेरी तरफ
हर बात में मेरी ज़िंदगी
तुम तक आकर रूक जाती है
तुमसे मेरे दिन रंगीं है
तुमसे मेरी खुशीयाँ आती हैं
तुम्हारे साथ रहकर तुमको
थोडा सा हँसाना चाहता हूँ
तुमसे जमकर झगडा करके
फिर तुमको मनाना चाहता हूँ
कहते हैं ज़िदगी का सफर नही आसान
मगर फिर भी मेरे साथ साथ चलोगी?
अकेले है मुश्किल,
तुम साथ हो तो आसान
क्या तुम मुझसे शादी करोगी?

तुषार जोशी, नागपुर

मंगलवार, 5 जून 2007

मुलाकात


read my mind, originally uploaded by krupali.

.
.
बहोत दिनों बाद
मुझसे मिलने गया
बोला आजकल
आते ही नही हो
और मैने देखा है
पहले की तरह
छोटी छोटी बातों पर
खिलखिलाते भी नहीं हो
हा यार मै बोला
वक्त ही नही मिलता
दिन कैसे गुज़र जाता है
पता ही नहीं चलता
अब भागदौड की ज़िंदगी में
जैसे खो गया हूँ
मशीनों के साथ रहते रहते
मशीन हो गया हूँ
मैं बोला मेरी मानो
दिन का एक घंटा तो
मेरे लिये निकालो
छूटती हुई ज़िंदगी से
कुछ तो पल बचालो
गप्पे लडाते साथ बैठेंगे
पुरानी यादों में
घूल कर हँस लेंगे
फिर जब जाओगे
खुशीयाँ ले जाओगे
अपनी बैटरी को तुम
रिचार्ज पाओगे
वो बात तो मेरे
दिल में उतर गई
और मैने भी मुझसे
कर दिया वादा
दिन में एक बार
जरूर मिलने जाऊंगा
भले मिले एक घंटा
या सिर्फ आधा

तुषार जोशी, नागपुर

तलाश


Khyati my Neice again, originally uploaded by Tilak Haria.

.
.
मुझे कुछ तलाश है
जो जो होना चाहिये
वो तो मेरे पास है
फिर भी कुछ तलाश है

एक जगह चाहिये जहाँ
सारा प्यार लुटा सकूँ
ऐसा काम के जहाँ
खुदको मैं भुला सकूँ
किसी अंजान मंज़िल की
अंजान सी प्यास है
मुझे कुछ तलाश है

एक कदम उधर जहाँ
दुख अधिक हो सुख हो कम
आसानी से जो ना हो
करते करते निकले दम
घोसले को छोड कर
उडने का प्रयास है
मुझे कुछ तलाश है

तुषार जोशी, नागपुर

मंगलवार, 22 मई 2007

तुम्हे देखा

.
.
तुम्हे देखा तभी सोचा
बहोत कुछ पा लिया मैने
तुम्हे अपना बनाऊंगा
इरादा झट किया मैने

जो मेरा था लडकपन से
जो मेरा रह नही पाया
जो इतने दिन सम्हाला था
तुम्हे दिल दे दिया मैने

तुषार जोशी, नागपुर

गुरुवार, 17 मई 2007

तुम्हारी हाँ


doddano kaaji..., originally uploaded by ahskad.

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तुम्हारी हाँ अंगुठी बन
के उंगली मे समा गई है
चिढ़ाना सारे मित्रों का
ठीठोली मुझको भा गई है

मुझे रोमांच देता है
मुझे वो सब लगे प्यारा
जहाँ से जिक्र तुम्हारा और
तुम्हारी याद आ गई है

तुषार जोशी, नागपुर

क्या हुआ मुझको


Rings, originally uploaded by Manny Pabla.

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जो करती थी पसंद मुझको
मुझे बिलकुल नही भाती
जिसे मै ठीक कहता हुँ
वो ना ना कह के है जाती

तुम्हे जब देखने आया
पता ना क्या हुआ मुझको
जिधर देखू मुझे तेरी
ही सूरत है नज़र आती

तुषार जोशी, नागपुर

सोमवार, 14 मई 2007

दोसती दवा है


most wanted......., originally uploaded by sonal chitnis.

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है अकेलापन बिमारी
दोसती इसकी दवा है
पी गया जो भी इसे वो
ठीक पल भर में हुआ है

इस दवा में खासियत है
आप भी जी भर के पिलो
दोस्त बन जाओ हमारे
जिन्दगी जी भर के जी लो

मुफ्त में मिलती है बाबू
बाँटते ना हिचकिचाना
जो मिले बीमार तुमको
खुब जी भर के पिलाना

है अकेलापन बिमारी
दोसती इसकी दवा है
पी गया जो भी इसे वो
ठीक पल भर में हुआ है

तुषार जोशी, नागपुर

रविवार, 13 मई 2007

चिठ्ठी


more orange than pink..., originally uploaded by `daksha.

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साडी देखी वही स्टाल पर
हाथ तेरा महसूस हुआ
कितने दिनसे मिला ना तुझको
मन मेरा मायूस हुआ

छुट्टी लेकर जल्दी ही
मैं तुमको मिलने आजाऊँ
सोच रहा हूँ तेरे वासते
साडी ये ही खरिद लाऊँ

छोटी छोटी बातों से भी
याद आती हो तुम मैना
यहाँ मैं खुश हूँ याद में तेरी
तुम चिठ्ठी पढना खुश रहना

तुषार जोशी, नागपुर

शनिवार, 12 मई 2007

अमलताश के फूल


Ratchaphruek, originally uploaded by dinesh_valke.

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अमलताश के फूल तुम्हारी
मधुर सादगी के लिये
इन ताज़ा मुस्कानों जैसी
स्वर्णिम जिंदगी के लिये

अमलताश के फूल नहीं यें
बच्चे हैं ठिठोली करते
जिवन की इस बगिया को
निर्मल सी हँसी से भरते

अमलताश के फुलों जैसा
जिवन खुशियों से भर जाए
एक दो पत्तियों जैसा
दुख बस थोडासा रह जाए

तुषार जोशी, नागपुर

गुरुवार, 10 मई 2007

रो लेने दो


Bombay - India, originally uploaded by La Moreneta.

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ग़म को कुछ कम हो लेने दो
बस जी भर के रो लेने दो

दिल से लिपटे सब वादों को
इस बारिश में धो लेने दो

हम खुश है कुछ हुआ नहीं है
कहते हैं तो कह लेने दो

आप का तोहफा हैं यें आँसू
दिल को फिर डुबो लेने दो

आज हुआ क्या कुछ ना पुछो?
बस जी भर के रो लेने दो

तुषार जोशी, नागपुर

बुधवार, 9 मई 2007

प्रयास


shakespeare, originally uploaded by ahskad.

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अगर तुम कविता करती हो
मै उसे पढ़ना चाहूंगा
तुम्हे समझने के प्रयास में
दो कदम आगे आ जाऊंगा
अगर तुम कविता करती हो
मै उसे पढ़ना चाहूंगा

अच्छी है या बुरी ये
सवाल ना करना मुझसे
मन से लिखा है, जो सच
उसमे मैं
अच्छे बुरे का भेद नहीं लाऊंगा
अगर तुम कविता करती हो
मै उसे पढ़ना चाहूंगा

तुम्हारे लिखे जज़बातों को
उस वक्त की सच्ची बातों को
अपने स्वर में ढ़ालकर
सुनो,
उसे मै तुम्हे सुनाऊंगा
अगर तुम कविता करती हो
मै उसे पढ़ना चाहूंगा

तुषार जोशी, नागपुर

रविवार, 6 मई 2007

अब समय मेरा है


The Shawshank Redemption !, originally uploaded by arkoprovo.

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अब समय मेरा है
कुछ भी कर सकता हूँ मैं
ये दावा सुनहरा है
अब समय मेरा है

मुसिबतों का डर नहीं
चीरता चलूँगा मैं
आँधीयों के बाद भी
यहीं खडा मिलूँगा मैं

मै चमकता सितारा हूँ
जो अंधेरा घनेरा है
अब समय मेरा है
कुछ भी कर सकता हूँ मैं
ये दावा सुनहरा है
अब समय मेरा है

ये जग भर दूँगा मैं
प्यार से विश्वास से
पिता सवाँरता है
बच्चों की जिंदगी जैसे

सबको साथ रखने वाली
मेरी विचारधारा है
अब समय मेरा है
कुछ भी कर सकता हूँ मैं
ये दावा सुनहरा है
अब समय मेरा है

तुषार जोशी, नागपुर

शनिवार, 5 मई 2007

कितनी खुश हूँ


Aishwarya13, originally uploaded by Tilak Haria.

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कितनी खुश हूँ
पुछो मेरे
रेशमी बालों से
चेहरे पर बनते
धूप और
छाँव के जालों से

आईना भी
मुसकाता है
देखके अब मुझको
कितनी खुश हो
कहता पगली
हुआ क्या है तुझको

दिल करता है
चिख चिख कर
सबको बतलाऊँ
सब सुना दूँ
आज अभी मैं
कुछ ना छुपाऊँ

आज मिली है
मुझको अपनी
अलग एक पहचान
मेरे ही इस
नये रूप से
अब तक थी अनजान

तुषार जोशी, नागपुर

शुक्रवार, 4 मई 2007

हसीन कविता


(छायाचित्र सहयोग: सोनल)

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किसी दिवाने कवि की
तुम हसीन कविता हो

इतने सटीक नयन नक्श
कोई होश में रहकर
कैसे बना सकता है?
वो जरूर नशे में रहा होगा.
तुमको बनाने के बाद
उसने खुदसे वाह! कहा होगा.

सादगी से सुबह जैसे
कोई फूल मुस्कुराता हो
किसी दिवाने कवि की
तुम हसीन कविता हो

इतनी सादगी के साथ
दिल को चीरता हुआ
कोई कैसे मुस्का सकता है?
जरूर एक जादूगरनी हो
समा महका जाने वाली
तुम कस्तूरी हिरनी हो

पानी की चाह में जैसे
कोई मलहार गाता हो
किसी दिवाने कवि की
तुम हसीन कविता हो

तुषार जोशी, नागपुर

गुरुवार, 3 मई 2007

खुशी


full of life....!, originally uploaded by sonal chitnis.

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खुशी जब दिल में
भर आती है
मुस्कुराहट में
छलक जाती है

मुस्कुराहट बनती है
अनोखा गहना
चेहरे की सुंदरता का
फिर क्या कहना

खुशी जो चेहरे से
यूँ छलकती है
महफिल में खुशी की
लहर महकती है

एक दिये से मिलकर
जलते है सौ दिये
आप यूँ ही मुस्कराएँ
सौ सौ साल जिये

तुषार जोशी, नागपुर

बुधवार, 2 मई 2007

सागर तट जाकर


सागर तट जाकर
बैठता हूँ कभी मैं
चिंताएँ अपनी
भूलता हूँ सभी मैं

निर्जन टापू पर
सुनकर लहरों को
हरदम होता हूँ
आनंदित और भी मैं

रुककर सुनता हूँ
प्रकृती का इशारा
आगे बढने का
बढता है बल मेरा

छोडता हूँ वही पर
कष्ट सारे जहाँ के
लेकर आता हूँ
महका सा एक चेहरा

तुषार जोशी, नागपुर

(छायाचित्र सौजन्य कृपाली)

मंगलवार, 1 मई 2007

ताज़गी


Aishwarya16, originally uploaded by Tilak Haria.

ताज़गी
यूँ छलकती है तेरे हसने से
जिन्दगी
यूँ महकती है तेरे हसने से

जी गया
मै तुझको देख के यूँ जी गया
पी गया
मै तेरी सुन्दरता पी गया

नशा नशा
अब मुझे हुआ है यूँ नशा नशा
अदा अदा
जितनी तेरी देखूँ अदा अदा

ताज़गी
यूँ छलकती है तेरे हसने से
जिन्दगी
यूँ महकती है तेरे हसने से

तुषार जोशी, नागपुर

हँसती हो तब


Aishwarya28, originally uploaded by Tilak Haria.

तुम हँसती हो तब
दिल की कलियाँ
खिल खिल जाती हैं
रूठ गईं थी
वो सब खुशीयाँ
लौट के आती हैं

तुम हँसती हो तब
जगमग जाते
कोई सौ दिये
पास हो जिसके
ऐसी दौलत
और क्या चाहिये

तुम हँसती हो जब
मन करता है
जान लुटा जाऊ
अपनी सारी
खुशियाँ तुम्हारे
नाम ही लिख आऊ

तुषार जोशी, नागपुर

हैरानी मे भी


Aishwarya17, originally uploaded by Tilak Haria.

मै सच कहता हूँ
तुमसा सुंदर
कोई नही जग में
तेरी उपमा बने
सितारा
कोई नहीं नभ में

सच्ची बताऊ
हैरानी की
बात नही कोई
हैरानी मे भी
तुमसा सुंदर
और नही कोई

झील के जैसी
आँखों का
जाम हो जाता है
तुम जो भी
करती हो उसका
नाम हो जाता है

तुषार जोशी, नागपुर

जिन्दगी उदास है


Aishwarya18, originally uploaded by Tilak Haria.

हवाए है थम गई
चमन फूलता नही
होश बदहवास है
जिन्दगी उदास है

रूक गये है रासते
आज मेरे वासते
किसकी यूँ तलाश है
जिन्दगी उदास है

आईना मै देखूँ क्या
कोई जो नहीं मेरा
दर्द मेरे पास है
जिन्दगी उदास है

तुषार जोशी, नागपुर